Quantcast
Channel: Indian Muslim Observer
Viewing all articles
Browse latest Browse all 889

विदेशी तब्लीगी जमाअत के लोगों की रिहाई के लिए इम्पार का गृह सचिव को पत्र

$
0
0
मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के बाद आने वाली बाधा को गृह मंत्रालय से दूर करने की अपील 

नयी दिल्ली: इंसानी बुनियादों पर विदेशी तबलीगी जमात के लोगों को छोड़ने के लिए भारत सरकार के होम सेक्रेट्री अजय कुमार भल्ला को इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) की ओर से एक पत्र लिखा गया है, जिसमें करोना को लेकर भारत सरकार की कोशिशों की प्रशंसा करते हुए कहा गया है कि भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने के लिए जो कदम उठाए हैं वह सराहनीय हैं। साथ ही साथ इस पूरी महामारी में सरकार की ओर से जो कदम आम जनता के हितों की रक्षा में लिए उठाये जा रहे हैं इम्पार उसकी प्रशंसा करता है।  

पत्र में भारत सरकार के गृह सचिव का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा गया है कि चेन्नई तमिलनाडु में फंसी 12 महिलाओं सहित 125 विदेशी तबलीगी जमात के लोगों की रिहाई को लेकर आप से अपील करते हैं। पत्र में कहा गया है कि माननीय न्यायालय द्वारा उनकी रिहाई का आदेश दिया गया है लेकिन राज्य के वरिष्ठ पुलिस और जेल अधिकारियों ने कहा है कि MHA ने इस दिशा में आदेश जारी कर रखा है। जब तक गृह मंत्रालय आदेश वापस नहीं लेता है तब तक यह संभव नहीं है। अहम बात यह है कि उन्होंने किसी भी वीजा की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया है या किसी भी ऐसी गतिविधियों में लिप्त नहीं थे जो FIR में उल्लिखित हैं क्यों कि इन्हीं बिंदुओं पर एचसी ने संज्ञान लिया है। 
पत्र में कहा गया है कि अच्छी बात यह है कि देश के किसी भी राज्य में इस तरह का कोई सवाल उत्पन्न नहीं हुआ और तबलीगी जमात के लोगों को न्यायालय से न्याय मिलने के बाद उन्हें उनके देश भेज दिया गया लेकिन चेन्नई तमिलनाडु में जो परेशानी आ रही है उसको लेकर के इम्पार चिंतित है और सरकार से अपील करती है कि सरकार तत्काल प्रभाव से कार्यवाही कर के उनको न्याय दिलाये। इम्पार इस मामले को मानवीय आधार पर उठाते हुये राज्य के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए गृह मंत्रालय की ओर देख रहा है, क्योंकि कोविड-19 के अचानक प्रकोप में इनकी थोड़ी सी गलतियों की इनको बड़ी सजा मिल चुकी है। 

इम्पार ने कहा है कि यह बताना उचित होगा कि तब्लीगी जमात के लोग अपनी यात्रा के दौरान या मस्जिदों में रहने के दौरान, किसी भी उपदेशात्मक गतिविधियों में लिप्त नहीं थे, क्योंकि मामले की सुनवाई के दौरान ऐसी कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई थी। किसी की धार्मिक, सांस्कृतिक प्रथाओं के अवलोकन की इस प्रक्रिया को उपदेश के रूप में नहीं माना जा सकता है और न ही उन्हें जारी किए गए वीजा की शर्तों के उल्लंघन का आरोपी बनाया जा सकता है। अहम बात यह है कि मद्रास के माननीय हाई कोर्ट ने व्यक्तिगत सुरक्षा बांड पर ही उनको राहत दी है।  

Viewing all articles
Browse latest Browse all 889

Trending Articles